हाय... भोत दिन हो गए॥ मैं तो आपछे मिला ही नहीं..... नालाज तो नहीं हैं ना....... तलिए हैं भी तो में नालाजगी दूल कल देता हूँ॥ आपतो दिखाता हूँ की मैं तबला कैछे बजाता हूँ.... देखो बजा लहा हूँ ना... अछल मैं कुछ दिन पेले धूमने गया था वहीं लाछ्ते में मैंने तबला बजाया.... आप भी देथो..... अछल में एक अन्तल जी छाताब्दी में मेले आगे बेथेथे॥ एछी में उन्हें पूला मजा आ लहा था ओल मैं बोल हो लहा था। तभी मुधे उनका छिल दिख गया। मैंने उछे तबला बना लिया। आप ही बताओ.... थीक kiya ना
अब ओल भी देथो
एछे ही नहीं बजाया.. उनके छिल पल झुक झुक कल बजाया.
छीट पल चढ़ चढ़ कल बजाया. आप भी देथो न...
अन्तल को भी पछंद आया.. तभी तो मुझे हग कालने के लिया उन्होंने हाथ बढ़ाए ओल मुझे छाबाछी भी दी. अन्तल छाच्मुच क्यूत थे.
आपने भी कभी ऐछे तबला बजाय है क्या???
अब तबले छे मन भल दया ओल मैं भी अपनी छीट पल भाग गया
लेकिन छही में मजा भोत आया मुझे तबले में
केछी लगी आपको ये ताक धिना धिन
मजेदार...
जवाब देंहटाएंप्यार..
वाह उस्ताद वाह !!
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा जानकार ...
waah ustaad waah !!
जवाब देंहटाएंमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
bot attha lada ....tumto meli bot bot thubhtamna
जवाब देंहटाएंhi hi hi hi
ha ha ha ha
achha laga. swagat hai.
जवाब देंहटाएंVery nice to read!...keet it up, thanks!
जवाब देंहटाएंbachche man ke sachche, sare jag kee aankh ke tare....narayan narayan
जवाब देंहटाएं