01 जून 2009

थन्दे थन्दे पानी छे नहाना चाहिए

गल्मी भोत बल गयी है। तो मैं भी दिन भल एछी में बैथता हूँ।
जब बिजली जाती है, तो भाग कल बाथलूम में घुछ जाता हूँ। आप भी देथो।


मेली छोती छी बाल्ती है ओल छेम्पू भी।
वैछे आप तभी पानी पतल पाते हैं त्या???
मैं भी पानी पतलने की भोत कोछिछ कलता हूँ, मगल बो पतल में ही नहीं आता।



खैल कोई baat नहीं। मैं नहा ही लेता हूँ।
अले बाप ले मग तो भोत भाली है। पेल पे ही दाल लेता हूँ।



लो पापा ने पानी ऊपल छे दाल दिया।
जे पापा कभी तो भोत तंग कलते हैं।



अब देथो... मेली बाल्ती ही छीनने लगे।
मैं भी नहीं छोलूँगा। ताहे कुछ हो दाए।




पापा को बाल्ती नहीं दी तो मम्मी ने भी दांत दिया।
दोनों गंदे....


उंह... दान्तने दो
मैं तो नहाऊंगा। मेला नहाने का ताइम
छुबे दच्छ छे छाले दछ
ओल शाम को छे छे छाले छे




25 मई 2009

ट्रेन में ताक़ धिना धिन...नन्हा तबलची

हाय... भोत दिन हो गए॥ मैं तो आपछे मिला ही नहीं..... नालाज तो नहीं हैं ना....... तलिए हैं भी तो में नालाजगी दूल कल देता हूँ॥ आपतो दिखाता हूँ की मैं तबला कैछे बजाता हूँ.... देखो बजा लहा हूँ ना... अछल मैं कुछ दिन पेले धूमने गया था वहीं लाछ्ते में मैंने तबला बजाया.... आप भी देथो..... अछल में एक अन्तल जी छाताब्दी में मेले आगे बेथेथे॥ एछी में उन्हें पूला मजा आ लहा था ओल मैं बोल हो लहा था। तभी मुधे उनका छिल दिख गया। मैंने उछे तबला बना लिया। आप ही बताओ.... थीक kiya ना
अब ओल भी देथो








एछे ही नहीं बजाया.. उनके छिल पल झुक झुक कल बजाया.


छीट पल चढ़ चढ़ कल बजाया. आप भी देथो न...
अन्तल को भी पछंद आया.. तभी तो मुझे हग कालने के लिया उन्होंने हाथ बढ़ाए ओल मुझे छाबाछी भी दी. अन्तल छाच्मुच क्यूत थे.

आपने भी कभी ऐछे तबला बजाय है क्या???







अब तबले छे मन भल दया ओल मैं भी अपनी छीट पल भाग गया
लेकिन छही में मजा भोत आया मुझे तबले में


केछी लगी आपको ये ताक धिना धिन

14 मई 2009

मम्मी भोत दन्दी है.......

हाय, मैं फिल आ गया। लेकिन एक छिकायत कलनी है आपछे। अभी अभी छोकल उथा हूँ औल मम्मी ने दांत दिया। तहने लदीं तुमने बिछ्तल पल छूछू कल दी। अले, दे कोई दान्तने वाली बात हुयी। मैं तो लोज बिछ्तल पल ही छूछू कलता हूँ। पैले कुछ नईं कैती थीं औल अब दांत लदाती लैती हैं। आप ही बताओ क्या बिछ्तल पल छूछू कलना दन्दी बात है? मम्मी भोत दन्दी है। वैछे मुधे तो बिछ्तल पल छूछू कलना भोत अच्छा लत्ता है। आपको भी लत्ता है क्या????

13 मई 2009

सबको हैलो! मैं भी आ गया

सबको मेरा नमस्ते। मेरा नाम है आरुष। अपने बारे में क्या कहूं..अभी तो मैं ठीक से बोल भी नहीं पाता। वो मम्मी और पापा कहते हैं कि मैं डेढ़ साल का ही हूँ, इसलिए नहीं बोल पाता। क्या सच्ची में ऐसा ही है। वैसे मेरा बर्थडे ४ अक्टूबर को होता है, जिस दिन मैं आपको केक खिलाऊंगा। अभी इत्ता ही। वैसे अभी मैं घूमने गया था, बड़ा मज़ा आया वहाँ। आपको भी बताऊंगा। फिर से आऊंगा। बाय बाय!