जब बिजली जाती है, तो भाग कल बाथलूम में घुछ जाता हूँ। आप भी देथो।
मेली छोती छी बाल्ती है ओल छेम्पू भी।
वैछे आप तभी पानी पतल पाते हैं त्या???
मैं भी पानी पतलने की भोत कोछिछ कलता हूँ, मगल बो पतल में ही नहीं आता।
खैल कोई baat नहीं। मैं नहा ही लेता हूँ।
अले बाप ले मग तो भोत भाली है। पेल पे ही दाल लेता हूँ।
लो पापा ने पानी ऊपल छे दाल दिया।
जे पापा कभी तो भोत तंग कलते हैं।
अब देथो... मेली बाल्ती ही छीनने लगे।
मैं भी नहीं छोलूँगा। ताहे कुछ हो दाए।
पापा को बाल्ती नहीं दी तो मम्मी ने भी दांत दिया।
दोनों गंदे....
उंह... दान्तने दो
मैं तो नहाऊंगा। मेला नहाने का ताइम
छुबे दच्छ छे छाले दछ
ओल शाम को छे छे छाले छे
बहुत मस्त है दोस्त.. गर्मी भाग गई न?
जवाब देंहटाएंप्यार..
वह आरुश क्या कहने आज कल गरमी है तो दो बार तो नहाना हि छहिये न मगर इतनि देर पानी मे नहिण रह्ते छलो पापा को बाल्ती दो नहिन तो नानी कम्मेन्ट नहीं देगी बाई आशीर्वाद्
जवाब देंहटाएंअले बाल ले, इत्ता पानी बलबाद कलोगे, तो फिल अगली बाल कैछे नहाओगे?
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
थेंक्यू नानी, अब मैं थोला कम ताइम तक नहाऊंगा ओल पानी भी तम बहाउंगा.
जवाब देंहटाएंखूब नहाने का..मस्ती से.
जवाब देंहटाएंमुझे आपका लेख बहुत अच्छा लगा मैं रोज़ आपका ब्लॉग पढ़ना है। आप बहुत अच्छा काम करे हो..
जवाब देंहटाएं