01 जून 2009

थन्दे थन्दे पानी छे नहाना चाहिए

गल्मी भोत बल गयी है। तो मैं भी दिन भल एछी में बैथता हूँ।
जब बिजली जाती है, तो भाग कल बाथलूम में घुछ जाता हूँ। आप भी देथो।


मेली छोती छी बाल्ती है ओल छेम्पू भी।
वैछे आप तभी पानी पतल पाते हैं त्या???
मैं भी पानी पतलने की भोत कोछिछ कलता हूँ, मगल बो पतल में ही नहीं आता।



खैल कोई baat नहीं। मैं नहा ही लेता हूँ।
अले बाप ले मग तो भोत भाली है। पेल पे ही दाल लेता हूँ।



लो पापा ने पानी ऊपल छे दाल दिया।
जे पापा कभी तो भोत तंग कलते हैं।



अब देथो... मेली बाल्ती ही छीनने लगे।
मैं भी नहीं छोलूँगा। ताहे कुछ हो दाए।




पापा को बाल्ती नहीं दी तो मम्मी ने भी दांत दिया।
दोनों गंदे....


उंह... दान्तने दो
मैं तो नहाऊंगा। मेला नहाने का ताइम
छुबे दच्छ छे छाले दछ
ओल शाम को छे छे छाले छे