25 मई 2009

ट्रेन में ताक़ धिना धिन...नन्हा तबलची

हाय... भोत दिन हो गए॥ मैं तो आपछे मिला ही नहीं..... नालाज तो नहीं हैं ना....... तलिए हैं भी तो में नालाजगी दूल कल देता हूँ॥ आपतो दिखाता हूँ की मैं तबला कैछे बजाता हूँ.... देखो बजा लहा हूँ ना... अछल मैं कुछ दिन पेले धूमने गया था वहीं लाछ्ते में मैंने तबला बजाया.... आप भी देथो..... अछल में एक अन्तल जी छाताब्दी में मेले आगे बेथेथे॥ एछी में उन्हें पूला मजा आ लहा था ओल मैं बोल हो लहा था। तभी मुधे उनका छिल दिख गया। मैंने उछे तबला बना लिया। आप ही बताओ.... थीक kiya ना
अब ओल भी देथो








एछे ही नहीं बजाया.. उनके छिल पल झुक झुक कल बजाया.


छीट पल चढ़ चढ़ कल बजाया. आप भी देथो न...
अन्तल को भी पछंद आया.. तभी तो मुझे हग कालने के लिया उन्होंने हाथ बढ़ाए ओल मुझे छाबाछी भी दी. अन्तल छाच्मुच क्यूत थे.

आपने भी कभी ऐछे तबला बजाय है क्या???







अब तबले छे मन भल दया ओल मैं भी अपनी छीट पल भाग गया
लेकिन छही में मजा भोत आया मुझे तबले में


केछी लगी आपको ये ताक धिना धिन

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